सोमवार, मई 12
क्योंकि सच बताते है हम
ज़र्रे मे रहगुजर छोड जाउंगा
पह्चान अपनी दूर तलक छोड जाउंगा
खामोशियो की मोत गवारा नही मुझे
शीशा हू टूटकर भी खनक छोड जाउंगा
वो तकरीबन 290 है सब के सब मै कुछ न बात है उंनके लिये पैसा कोई मायने नही रखता वो इस देश मे हिन्दी और ब्लोग के जरिये देश मे वो क्रांति ला रहे है जो अब तक कोई ला न पाया था ..........21 वी सदी का एक नया हिन्दुस्तान ...नई पत्रकारिता ... भटकी हुआ व्यव्स्था...भटका हुआ समाज ...भटकी हुई पत्तकारिता ..और अचानक एक नयी क्रांति जनाब भडास बार बार यही साबित कर रहा है कि हिन्दुस्तान मे जब जब ब्लोग का नाम लिया जायेगा भडास का नाम सबसे उपर लिया जायगा ..ऐसा नही यह ब्लोग सिर्फ सरकार . समाज की ही पोल खोल रहा है अपितु यह उस हर बात हो हमारे समाने एक नई मिसाल पेश कर रहा है .... यह मिसाल उस वक्त दी जा रही है जब हिन्दी और अंग्रेजी मे एक वाक दोड चल रही है क्योंकि हिंसा व आतंक के खिलाफ और लोकतंत्र के पक्ष में खड़े होने वाले ये गुमनाम सिपाही स्वयं भी लोकतंत्र विरोधियों और मीडिया के भष्ट लोगो से खतरे मे पड सकते है दुनिया की दूसरी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा होने के लिहाज से देखें तो हिंदी में ब्लॉगों की संख्या अपेक्षा से बहुत कम दिखेगी। लेकिन इसके कारण स्पष्ट हैं। टेलीफोन, कंप्यूटर, इंटरनेट, बिजली और तकनीकी ज्ञान जैसी बुनियादी आवश्यकताएं पूरी किए बिना कंप्यूटर और इंटरनेट को तेजी से लोकप्रिय बनाने की आशा नहीं की जा सकती। दूसरे, आर्थिक रूप से हम इतने सक्षम और निश्चिंत नहीं हैं कि ऐसी किसी तकनीकी सुविधा पर समय, श्रम और धन खर्च करना पसंद करें, जो अपरिहार्य नहीं है। तीसरे, हमारा समाज संभवत: पश्चिम के जितना अभिव्यक्तिमूलक भी नहीं है। बहरहाल, आर्थिक तरक्की के साथ-साथ इन सभी क्षेत्रों में स्थितियां बदल रही हैं जिसका असर ब्लॉग की दुनिया में भी दिख रहा है।
इसके लिये सबसे पहले मे यशव्ंत जी और रूपेश श्रीवास्तव जी को देना चाहूंगा जो हर पोस्ट पर अपनी राय जरुर देते है ndtv India और कई बडे मीडिया हाउस इस ब्लोग के बढते कदमो से सकते मे है
जय भडास
क्योंकि सच बताते है हम
लेबल:
क्योंकि सच बताते है हम
प्रस्तुतकर्ता
आशीष जैन
सोमवार, मई 5
भुखमरी की राह पर एक और कदम - भारत
शायद यह हिन्दुस्तान की राजनीति का सबसे घिनोना उदाहरण हो शायद यह हिन्दुस्तान की सबसे बडी त्रासदी साबित हो या यह हिन्दुस्तान मे एक नयी पैसो की रेस शुरु कर दे जिसमे अब किसान भी दोडेंगे जी हा प्राप्त सूचनाओ के आधार पर हम आपको बता रहे है कि BCCI के महाराज और क़ृषि मंत्री के पद पर आसीन शरद पवार अपने विभाग के अपने सबसे ज्यादा करीब नेताओ के साथ एक करोड़ बीस लाख हेक्टेयर भूमि पर जैव ईंधन उगाने की योजना बना रहे है यह योजना ऐसे वक्त में बनाई जा रही है जब विदर्भ या यू कहे कि पूरे बंगाल मे किसान मौत के रास्ते को अपना रहे है और उनकी माँ और उनकी पत्निया अपना जिस्म बेचने को तैयार है
सवाल उठता है कि क्या पवार साह्ब को किसानो के परिवार और उनसे सज़ रही जिस्म की मन्डिया नही दिखती या फिर T-20-20 के जोश इतना ज्यादा तेज़ है कि पूरा कर्म युद्द और धर्म युद्द के मोह जाल मे वो फस गये है वही महगाई के कारण जहा पूरा देश बल्कि पूरा विश्व परेशान है तो हमारे पवार साह्ब को नये –नये तरीके सूझ रहे है शायद इसी कारण हमारे कृषिमंत्री की अगुवाई में हमारे मंत्रियों ने एक करोड़ बीस लाख हेक्टेयर भूमि पर जैव ईंधन उगाने की योजना यह योजना ऐसे वक्त में बनाई जा रही है जब देश में गेंहू, चावल, का अभाव अपने चरम सीमा पर है खेती से जुडे लोगो से जब जानना चाहा तो पता चला कि इस खेती के बाद कई सालो तक जमीन बंजर हो सकती है
इतिहास भी गवाह रहा है कि 90-91 में अनाज की प्रति व्यक्ति खपत 485 ग्राम थी जो 2005-06 में घटकर 409 ग्राम हो गयी है. सन 56-58में दालों की प्रति व्यक्ति खपत 75 ग्राम हुआ करती थी जो अब 30 ग्राम रह गयी है. इसका मतलब लोगों को खाने का उतना अनाज नहीं मिल पा रहा है जितना 50 साल पहले मिलता था. पिछले 16 साल में अनाज की पैदावार तो 1.2 प्रतिशत बढ़ी है लेकिन आबादी 1.9 प्रतिशत की दर से बढ़ी है. अनाज की कमी तो होगी ही और मंहगाई भी बढ़ेगी. लेकिन यह सब पवार जी को कौन बताये की जनाब BCCI के अलावा आप कृषिमंत्री भी है शायद उनको पता नही कि जैविक खेती से बनने वाला पेट्रोल जरुरी नही है बल्कि जरुरी दो वक़्त की रोटी है
कैसा लगा आपको यह लेख जरुर बताये – अपनी राय दे
सवाल उठता है कि क्या पवार साह्ब को किसानो के परिवार और उनसे सज़ रही जिस्म की मन्डिया नही दिखती या फिर T-20-20 के जोश इतना ज्यादा तेज़ है कि पूरा कर्म युद्द और धर्म युद्द के मोह जाल मे वो फस गये है वही महगाई के कारण जहा पूरा देश बल्कि पूरा विश्व परेशान है तो हमारे पवार साह्ब को नये –नये तरीके सूझ रहे है शायद इसी कारण हमारे कृषिमंत्री की अगुवाई में हमारे मंत्रियों ने एक करोड़ बीस लाख हेक्टेयर भूमि पर जैव ईंधन उगाने की योजना यह योजना ऐसे वक्त में बनाई जा रही है जब देश में गेंहू, चावल, का अभाव अपने चरम सीमा पर है खेती से जुडे लोगो से जब जानना चाहा तो पता चला कि इस खेती के बाद कई सालो तक जमीन बंजर हो सकती है
इतिहास भी गवाह रहा है कि 90-91 में अनाज की प्रति व्यक्ति खपत 485 ग्राम थी जो 2005-06 में घटकर 409 ग्राम हो गयी है. सन 56-58में दालों की प्रति व्यक्ति खपत 75 ग्राम हुआ करती थी जो अब 30 ग्राम रह गयी है. इसका मतलब लोगों को खाने का उतना अनाज नहीं मिल पा रहा है जितना 50 साल पहले मिलता था. पिछले 16 साल में अनाज की पैदावार तो 1.2 प्रतिशत बढ़ी है लेकिन आबादी 1.9 प्रतिशत की दर से बढ़ी है. अनाज की कमी तो होगी ही और मंहगाई भी बढ़ेगी. लेकिन यह सब पवार जी को कौन बताये की जनाब BCCI के अलावा आप कृषिमंत्री भी है शायद उनको पता नही कि जैविक खेती से बनने वाला पेट्रोल जरुरी नही है बल्कि जरुरी दो वक़्त की रोटी है
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आशीष जैन
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