सोमवार, मई 5

भुखमरी की राह पर एक और कदम - भारत






शायद यह हिन्दुस्तान की राजनीति का सबसे घिनोना उदाहरण हो शायद यह हिन्दुस्तान की सबसे बडी त्रासदी साबित हो या यह हिन्दुस्तान मे एक नयी पैसो की रेस शुरु कर दे जिसमे अब किसान भी दोडेंगे जी हा प्राप्त सूचनाओ के आधार पर हम आपको बता रहे है कि BCCI के महाराज और क़ृषि मंत्री के पद पर आसीन शरद पवार अपने विभाग के अपने सबसे ज्यादा करीब नेताओ के साथ एक करोड़ बीस लाख हेक्टेयर भूमि पर जैव ईंधन उगाने की योजना बना रहे है यह योजना ऐसे वक्त में बनाई जा रही है जब विदर्भ या यू कहे कि पूरे बंगाल मे किसान मौत के रास्ते को अपना रहे है और उनकी माँ और उनकी पत्निया अपना जिस्म बेचने को तैयार है
सवाल उठता है कि क्या पवार साह्ब को किसानो के परिवार और उनसे सज़ रही जिस्म की मन्डिया नही दिखती या फिर T-20-20 के जोश इतना ज्यादा तेज़ है कि पूरा कर्म युद्द और धर्म युद्द के मोह जाल मे वो फस गये है वही महगाई के कारण जहा पूरा देश बल्कि पूरा विश्व परेशान है तो हमारे पवार साह्ब को नये –नये तरीके सूझ रहे है शायद इसी कारण हमारे कृषिमंत्री की अगुवाई में हमारे मंत्रियों ने एक करोड़ बीस लाख हेक्टेयर भूमि पर जैव ईंधन उगाने की योजना यह योजना ऐसे वक्त में बनाई जा रही है जब देश में गेंहू, चावल, का अभाव अपने चरम सीमा पर है खेती से जुडे लोगो से जब जानना चाहा तो पता चला कि इस खेती के बाद कई सालो तक जमीन बंजर हो सकती है
इतिहास भी गवाह रहा है कि 90-91 में अनाज की प्रति व्यक्ति खपत 485 ग्राम थी जो 2005-06 में घटकर 409 ग्राम हो गयी है. सन 56-58में दालों की प्रति व्यक्ति खपत 75 ग्राम हुआ करती थी जो अब 30 ग्राम रह गयी है. इसका मतलब लोगों को खाने का उतना अनाज नहीं मिल पा रहा है जितना 50 साल पहले मिलता था. पिछले 16 साल में अनाज की पैदावार तो 1.2 प्रतिशत बढ़ी है लेकिन आबादी 1.9 प्रतिशत की दर से बढ़ी है. अनाज की कमी तो होगी ही और मंहगाई भी बढ़ेगी. लेकिन यह सब पवार जी को कौन बताये की जनाब BCCI के अलावा आप कृषिमंत्री भी है शायद उनको पता नही कि जैविक खेती से बनने वाला पेट्रोल जरुरी नही है बल्कि जरुरी दो वक़्त की रोटी है
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