शनिवार, मई 30

प्यार इश्क और मोहब्बत ...exclusive part3 exclusive


अब आगे क्या लिखूं ,क्या सच लिखूं ,बस यही सोच रहा हूँ ,मेरी आँखों के सामने मेरी कहानी सुपरहिट हो रही है ,कम से कम मेरे ऑफिस में तो है ही ..........हर कोई सवाल यहीं पूछ रहा है की यह रोहन आखिर कौन है ???मेरी आँखों के सामने कई लोगो ने उसे कमीना कहां ...गालिया तो और भी थी ,जिन्हें में बयान नहीं कर सकता ..आपको पता ही कहानी का एक जबरदस्त पात्र लोक ने मुझसे कहा है की ऐसा लिखना की लड़की बस खिची चली आ जाए ,अब ब्लॉग में ऐसा क्या लिखूं की लडकियां अपने आप पट जाए ....खैर कहानी को आगे बढाता हूँ ,दीप्ती ने कल ब्लॉग पडा ,शायद कुछ बोलना चाहती थी ,लेकिन जुबान और शब्द उसका साथ नहीं दे पा रहे थे ,मेरे से आखिरकार उसे कहना है पड़ा कि तू मुझे इतनी अच्छी तरीके से जानता है कब से ....और बोला क्यों नहीं .. मैं वहाँ से चला आया ,ऑफिस में नए लोग आये है हर बार कि तरह लोक को एक और लड़की पसंद आ गई है ,सोनिया {भूत पूर्व प्रेमिका }जो कभी बन ना पाई } को बोला है कि यार उसके सामने मेरी थोडी सी बात बना दे ...थोडी तारीफ़ कर दे plz ... ऑफिस कि जबरदस्त लड़की उसकी प्रेमिका नहीं बन पाई जी हाँ भाई उसने एक लड़की को प्रपोज़ किया ,लड़की ने अटका कर रखा था ,लोक को लगा कि थोडा वक्त लगेगा और जल्द वो उसके पास दौडती हुए हां जायेगी ,लेकिन यह क्या एक हफ्ते से ज्यादा बीत गया ,वो तो ना दौडी और ना ही उसके पास आई ,लोक हार गया क्योंकि एक रोज़ उसका फोन आया और जवाब मना हो गया ,,,जनाब आज भी फोन पर बातें करतें है,उसी लड़की से ,उनकों लगता है कि वो ऐसा करने से पट जायेगी ,लेकिन ऐसा नहीं होने वाला है ,दरअसल यह एक तीने वाला सवाल है लोक अपनी जिंदगी में सबसे बुरी तरह से हारा है ,वही वो अब नए लोगों पर हाथ आजमा रहा है ,लेकिन मुझे मालुम है कि लोक के लिए उसके घरवालों ने एक लड़की देख ली है ,अरे हां भाई लोक के लिए ,शादी भी होने वाली है जल्द ,आप सब को आना है ,यह जल्द ही आप को वो कहता हुआ दिखेगा ,वही दुसरी तरफ कहानी का लेखक यानी मैं किस मझदार में हूँ मैं नहीं जानता ,मेरी जिंदगी में फिर से कोई शामिल हुआ है ...एक दोस्त की तरह ....पता नहीं जिंदगी में कब शामिल हो गई मैं नहीं जानता ....मैंने अपनी जिंदगी के कई सच मैंने ऊनको बता दिए ,,,,मैंने क्यों बताए मैं नहीं जानता ??लेकिन सच में मैं उनको एक बेहतर दोस्त मानता हूँ या फिर अब मानने लगा हूँ ,यह मेरा आकर्षण तो नहीं ,,,,,बस इसी का एक डर लगातार बना रहता है ,लेकिन कुछ सोच के दिल को दिलासा देता रहता हूँ और फिर शांत हो जाता हूँ ,,आप क्या सोच रहे है कि मैं ऐसा क्या सोचता हूँ ,सुनना चाहेंगे क्या ,,,बस यहीं सोचता हूँ कि मेरी तो गर्ल फ्रेंड है ,,,,मैं नहीं जानता कि यह सब कुछ क्या चल रहा है ,लेकिन मैं कुछ गलत नहीं कर रहा ,आज उससे मिलने जा रहा हूँ ,हम फिर कहीं सपनो को निर्माण करेंगे उनको अपने हाथों से संजो कर घर वापिस रख देंगे ,अगले शनिवार के लिए ....मैं अपनी नई दोस्त के बारे में बात दूँ नाम महक ...{काल्पनिक नाम } हम कब दोस्त बने मैं नहीं जानता .,..बस इतना याद है कि उन्होंने कहा था कि मैं तुम लोगो को गोद ले लूंगी ,और मैंने कहा था कि फायदा किसका होगा और उन्होंने झट से कहा था कि इसमें कोई शक नहीं फायदा तुम्हारा ही होगा और हम एक दम मुस्कराने लगे थे .....उनको नहीं मालुम हम हसें क्यों थे ,बस वही मुलाक़ात और हम सब दोस्त बन गए ,सादगी मुझे हमेशा से बेहतर लगती है ,और वो जो है वो मेरे लिए एक नए दोस्त कि जगह भरता भी है ,सोनिया हमारी दोस्ती में दिलचस्पी दिखाने लगी है उसने मेरे से पूछा भी है कि तू उनके सामने चुप क्यों रहता हूँ ??? दरअसल उसको कोई शक हुआ है जो वो बोल नहीं पा रही.....मैं नहीं बोल पाया ,मैं उसको जवाब भी नहीं दे पाया ,मैं क्यों नहीं दे पाया ,यह सवाल मेरे अन्दर आज भी कौंध रहा है रोहन और सोनिया आज भी दोस्त है ,दोस्ती का एक नया रूप मेरे सामने मौजूद है ,मैं चाहने पर भी उसको यह दिलासा नहीं दे पा रहा की जो मैंने लिखा है की वो सच है ,वो मेरे से बार बार यहीं पूछ रही है की जो मैंने कहा है वो सच है ,मैं उसे दिलासा क्यों दूँ ? आखिर दोस्तों के बीच मेरा इन सवालों का क्या काम है ,रोहन अपने भरोसे में लेने की पूरी कोशिश कर रहा है वो कामयाब भी हो गया है आखिर लडकियां और वो भी माध्यम वर्ग की सोच तो भरोसे में आज सोनिया फिर से है ,मैं अब नहीं चाहता की मैं सोनिया को और समझाऊ ,वही दूसरी तरफ लोक ने एक लड़की पटा ली है ,अरे मन ही मन में एक नई इन्टर्न आई है ,जनाब का दिल फिर से फिसल गया है ,भाई साहाब को शायद नहीं मालुम की मंगल सूत्र के साथ उनका समझौता होने वाला है ,खैर जिस लड़की ने उन्हें मन किया था वो बहुत तेज़ है ,वो उनको अब फोन करती है देर तक बातें भी करती है ,दोस्त क्या होते है वो उस वक्त भूल जाते है ,लेकिन कहानी की टी आर पी तो लोक के कारण ही है ,अरे मैं तो आपको बताना ही भूल गया -कहानी का कौन सा पात्र कहां है ,ऑफिस में उस पर चर्चाये होती है ,लोग अब मुझसे पूछते है की प्लीज़ उनके नाम बता दो ,मैं लेखक हूँ ,मैं शुद्ध कदापि नहीं हूँ ,मेरे अन्दर भी मिलावट होने लगी है ,मैं नहीं जानता यह क्या हो रहा है मुझे ??? मैं तो किसी और के लिए यहाँ आया था ,यह भटकाव केसा ?? हम राजस्थान जा रहे है ,वो बहुत खुश है ,उसके बाबू की यह पहली सैलरी है ,उसकी आँखों में यह ख़ुशी पहली बार देखी है ,मुझे कोई लालच नहीं ,मुझे पैसों से प्यार नहीं है ,मैं आपको ऐसा इसलिए बता रहाहूँ क्योंकि बनियों को नोटों से बहुत प्यार होता है ,राजस्थान में हमारा मंदिर है ,वहीँ हम घूमेंगे ,मैं नहीं जानता की ख़ुशी क्या होती है बस उसके चेहरे पर जब यह चमक देखता हूँ तो लगता काश यह सब कुछ पहले ही होजाता..........महक शानदार व्यवहार की है ,वो दोस्त बहुत बनाती है यह किसी की शक्सियत का बखान कादापी नहीं है यह मैं अपने सामने एक नई कहानी का निर्माण कर रहा हूँ ,अब हम सॉरी .........मैं उनके साथ पसंद करता हूँ ,क्यों ....सच में नहीं जानता ,लेकिन इतना जानता हूँ की कोई तो बात है ...यह बेहतर भविष्य की दोस्ती का संकेत है ,या फिर यह दिलासा है ...जो कई दिनों से मैं अपने आप को दिला रहा हूँ ,आखिर लडकियां और वो भी माध्यम वर्ग की सोच तो भरोसे में आज सोनिया फिर से है ,मैं अब नहीं चाहता की मैं सोनिया को और समझाऊ ,वही दूसरी तरफ लोक ने एक लड़की पटा ली है ,अरे मन ही मन में एक नई इन्टर्न आई है ,जनाब का दिल फिर से फिसल गया है ,भाई साहाब को शायद नहीं मालुम की मंगल सूत्र के साथ उनका समझौता होने वाला है ,खैर जिस लड़की ने उन्हें मन किया था वो बहुत तेज़ है ,वो उनको अब फोन करती है देर तक बातें भी करती है ,दोस्त क्या होते है वो उस वक्त भूल जाते है ,लेकिन कहानी की टी आर पी तो लोक के कारण ही है ,अरे मैं तो आपको बताना ही भूल गया -कहानी का कौन सा पात्र कहां है ,ऑफिस में उस पर चर्चाये होती है ,लोग अब मुझसे पूछते है की प्लीज़ उनके नाम बता दो ,मैं लेखक हूँ ,मैं शुद्ध कदापि नहीं हूँ ,मेरे अन्दर भी मिलावट होने लगी है ,मैं नहीं जानता यह क्या हो रहा है मुझे ??? मैं तो किसी और के लिए यहाँ आया था ,यह भटकाव केसा ?? हम राजस्थान जा रहे है ,वो बहुत खुश है ,उसके बाबू की यह पहली सैलरी है ,उसकी आँखों में यह ख़ुशी पहली बार देखी है ,मुझे कोई लालच नहीं ,मुझे पैसों से प्यार नहीं है ,मैं आपको ऐसा इसलिए बता रहाहूँ क्योंकि बनियों को नोटों से बहुत प्यार होता है ,राजस्थान में हमारा मंदिर है ,वहीँ हम घूमेंगे ,मैं नहीं जानता की ख़ुशी क्या होती है बस उसके चेहरे पर जब यह चमक देखता हूँ तो लगता काश यह सब कुछ पहले ही होजाता..........महक शानदार व्यवहार की है ,वो दोस्त बहुत बनाती है यह किसी की शक्सियत का बखान कादापी नहीं है यह मैं अपने सामने एक नई कहानी का निर्माण कर रहा हूँ ,अब हम सॉरी .........मैं उनके साथ पसंद करता हूँ ,क्यों ....सच में नहीं जानता ,लेकिन इतना जानता हूँ की कोई तो बात है ...यह बेहतर भविष्य की दोस्ती का संकेत है ,या फिर यह दिलासा है ...जो कई दिनों से मैं अपने आप को दिला रहा हूँ ,उनको अपने भाई से बहुत प्यार है ,कहानी का नया चरित्र वो ही बता पाएंगी ,बस इतना जानता हूँ की उनको कभी प्यार नहीं हुआ .....क्या सोच रहे की मुझे केसे मालुम ..मैंने पूछा......आप अब मेरे चरित्र पर उंगलियाँ उठा सकते है ,मेरी खामोशी आपको कुछ सोचने पर मजबूर कर सकती है ,लेकिन मैं दोस्त बना चाहता हूँ ,बहुत अच्छा ,,,,क्योंकि एक वक्त मैंने अपने दोस्त को खोया है ,जिसके साथ मैं बातें कर सकूँ ,अरे हां उनको भी बहुत जल्दी रोना आता है मेरी तरह ,आज तक मैंने अपने बारे में किसी को पूरा नहीं बताया लेकिन मैं अचानक उनको यह सब कुछ केसे बता दिया ,यह मैं नहीं जानता.... कहानी का लोक यहाँ पर भी आ गया है नए कलेवर के साथ ..भाई साहब के पास sms का जबरदस्त कलेक्शन है ,वो नेट से बैठ कर कॉपी करते है ,लोक अब महक को sms करता है उनको अपने भाई से बहुत प्यार है ,कहानी का नया चरित्र वो ही बता पाएंगी ,बस इतना जानता हूँ की उनको कभी प्यार नहीं हुआ .....क्या सोच रहे की मुझे केसे मालुम ..मैंने पूछा......आप अब मेरे चरित्र पर उंगलियाँ उठा सकते है ,मेरी खामोशी आपको कुछ सोचने पर मजबूर कर सकती है ,लेकिन मैं दोस्त बना चाहता हूँ ,बहुत अच्छा ,,,,क्योंकि एक वक्त मैंने अपने दोस्त को खोया है ,जिसके साथ मैं बातें कर सकूँ ,अरे हां उनको भी बहुत जल्दी रोना आता है मेरी तरह ,आज तक मैंने अपने बारे में किसी को पूरा नहीं बताया लेकिन मैं अचानक उनको यह सब कुछ केसे बता दिया ,यह मैं नहीं जानता.... कहानी का लोक यहाँ पर भी आ गया है नए कलेवर के साथ ..भाई साहब के पास sms का जबरदस्त कलेक्शन है ,वो नेट से बैठ कर कॉपी करते है ,लोक अब महक को sms करता है उनको अपने भाई से बहुत प्यार है ,कहानी का नया चरित्र वो ही बता पाएंगी ,बस इतना जानता हूँ की उनको कभी प्यार नहीं हुआ .....क्या सोच रहे की मुझे केसे मालुम ..मैंने पूछा......आप अब मेरे चरित्र पर उंगलियाँ उठा सकते है ,मेरी खामोशी आपको कुछ सोचने पर मजबूर कर सकती है ,लेकिन मैं दोस्त बना चाहता हूँ ,बहुत अच्छा मेरे सामने वो शायद वहाँ भी शुरू हो गया है ,उनको वो मेसेज करता है ,वो भी शेंटी सा ,,और एक दिन .............लोक ने उस कहा ,,,मुझे प्यार हो गया है यानी लोक को एक बार फिर हो गया है ................पता है किससे ???? महक से ......सच में """"जिस दिन से चला हूँ, मेरी मंज़िल पे नज़र है, आँखों ने कभी मील का पत्थर नहीं देखा... !!ये फूल मुझे कोई विरासत में नहीं मिले हैं, तुमने मेरा काँटों भरा बिस्तर नहीं देखा... !!..बेवक्त अगर जाऊँगा सब चोंक पड़ेंगे, एक उम्र हुई दिन में कभी घर नहीं देखा... !!..पत्थर कहता है मेरा चाहने वाला, शायद उसने मुझे कभी छूकर नहीं देखा... !!.. TO BE CONITINUE









1 टिप्पणियाँ:

MANVINDER BHIMBER ने कहा…

जिस दिन से चला हूँ, मेरी मंज़िल पे नज़र है, आँखों ने कभी मील का पत्थर नहीं देखा... !!ये फूल मुझे कोई विरासत में नहीं मिले हैं, तुमने मेरा काँटों भरा बिस्तर नहीं देखा... !!..बेवक्त अगर जाऊँगा सब चोंक पड़ेंगे, एक उम्र हुई दिन में कभी घर नहीं देखा... !!.. गजब लिख दिया है आपने बहुर खूब