रविवार, मई 24

प्यार इश्क और यह क्या ? EXCLUSIVE


प्यार क्या होता है ,क्या यह एक इतफाक है ,या यह एक परम्परा है जो कई सदियों से अनजाने साए के साथ हमारे साथ चलती आ रही है ,दरअसल मेरा यह लेख इसी परम्पराओं को झुट्लाते हुए एक कहानी का निर्माण करता है ,जो बेशक मेरी हो सकती है मेरे दोस्तों की हो सकती है या फिर ऐसा भी हो सकता हैं की आगे जो मैं लिखने वाला हूँ वो आप के आस पास कही घट रही हों ,चैनल यानी मेरा ऑफिस -वक्त तक़रीबन ७:५० के आस पास मेरी कहानी में तीन पात्र है जो तीन दोस्त भी है यह वही पात्र है जिनके आस पास पूरी कहानी घुमती रहती है पहले पात्र का नाम तो आशीष है जो वास्तविक है दुसरे पात्र का नाम रोहन है और तीसरे का नाम लोक है और कहानी का 4th पात्र एक लड़की .........................................नहीं बाबा दो ............................माफ़ी चाहूँगा ..............तीन ......चार ......दस या फिर बारह है,
मैंने भी आपकी तरह सुना था की प्यार एक बार होता है शायद यह सच ना हो .इस कहानी का आशीष सिर्फ कहानी को गढ़ रहा है ,यह आपको याद रहे रोहन मेरा चार साल से अधिक वक्त का दोस्त है ,उम्मीद के मुताबिक मेरी हर भावनाओं को वो और मैं उसकी सवेंदना को समझता रहा हूँ ,उसको उसका प्यार कॉलेज में मिल चुका है ,मुझे याद है उस वक्त आँखों में आंसू लेकर अपने सीने से उसकी यादों और उसकी हर बातों को वो मुझसे शेयर किया करता था ,आज बेशक हालत कुछ और है ....यह उसकी प्यार की मजबूती है या फिर कुछ और ....सच में मैं नहीं जानता ,,,,उसका प्यार उससे बातें करता है ,उससे दिल की हर बात समझता है ,कभी कभी वो इतराता भी है ,लेकिन फिर एक बार आँखों को नीचा करके ना जाने क्यों आँखों में आँसूं के समंदर भर लाता है शायद मुझे नहीं कहना चाहिए -लेकिन उसकी जिंदगी में सब कुछ सहीं नहीं चल रहा है ,उसकी तरह मेरे कही दोस्तों को लगता है की वो और उसका प्यार दरअसल एक दुसरे के लिए बने है नहीं ....लेकिन मैं खुद्दार हूँ ,कहानी का लेखक भी मैं ही हूँ -मैं गलत नहीं हो सकता ,,,,,बस यही चीज़ मुझे खा जाती है ,हफ्तें में एक दिन हमारा ऑफ होता है मैं अपनी जिंदगी के सबसे प्यारें दोस्त से मिलता हूँ और वो ..........................................वो .................................वो शायद नहीं ......दरअसल उसके साथी की कहानी मेरे दोस्त की जिंदगी पर हमेशा से हावी रही है ,,,और हो भी क्यों ना ,,,,,उसने कही सवाल अपनी प्रेमिका से करने की कोशिश भी की ....लेकिन उसके जवाबों में वो इतराता नहीं ...और ना ही शर्माता है .बस गुम सुम सा अकेला घबरता है .......फिर तड़प के अपने आप से एक सवाल पूछता है की अफेयर को तीन साल से भी ज्यादा हो गए है ..फिर भी अपने सर को जुन्झुनाते हुए अपने आप से कहता है की नहीं वो सच में सच्ची है ....................कहानी का तीसरा पात्र लोक है ,जनाब शानदार है ,कॉलेज में रूतबा था ,अरे भाई पढाई में नहीं सिर्फ लड़कीबाजी में ,जनाब की कौन से गर्ल फ्रेंड है और कौन सी दोस्त यह कोई नहीं जानता ,कॉलेज में इंग्लिश ओनर्स को ताड़ते थे ,अब थोड़े से बड़े हो गए है ,अब सैलरी भी मिल रही बेशक मोटी तनख्वाह ना हो लेकिन ख्वाब बेहद शानदार है ,हताश भी हो जाते है अगर थोडा सा काम ज्यादा करवा लो तो ....तो हाँ कॉलेज में नए आये तो एक ग्रुप में शामिल हुए ...कुछ दोस्त मिले कुछ बहुत ज्यादा अच्छे मिले जिस ग्रुप में थे वही प्यार कर बैठे ,,,,हालत तो उसवक्त खराब हुई जब पता लगा की अरे भाई जिस से प्यार -----अरे भाई माफ़ी चाहूंगा -प्यार इन जनाब को हर रोज़ प्यार होता है ,और ऐसा वेसा नहीं ,रात भर बातें करते है ,फिर शुभ रात्री कह कर सुबह का मेसज टाइप करते है -कहानी का दूसरा रूप उनके एक नए चेहरे को बतलाता हैं वो बताता है की सच में उससे प्यार हुआ ,उसकी तड़पन उसकी बातों पर मोहर लगाती है ,संजीदगी यहाँ तक की बन्दा रोया भी है ...लेकिन यह क्या साहब वो तो चुप हो गया एक नई सुबह के लिए ....TO BE CONTINUE

1 टिप्पणियाँ:

Unknown ने कहा…

शुरूआत ने दिलचस्पी पैदा की थी...जो अंत तक आते आते फिसल सी गयी...
फिर भी अच्छा प्रयास.....