सोमवार, मार्च 2

किर्केट का काला दिन .......




आखिरकार वही हुआ जिसका डर था,पाकिस्तान में कई वक्त बाद कोई किर्केट टीम पाक में जाकर खेलने के लिए तैयार हुई थी ,शायद वो यह जताने के कोशिश कर रही थी की पाक की कोई भी व्यवस्था उसके ऊपर हावी नहीं हो सकती .लेकिन किसी नामालूम मौत के साए में वो सब कुछ हुआ जिससे पाक का गन्दा इतिहास और काला हो गया ,यह बात साबित करती है की बेशक पाक में लोक्तंत्र हो लेकिन हकीकत यही है की यह परिभाषा लोकतंत्र की तो कभी नहीं है जब मैं यह ब्लॉग लिख रहा हूँ उस वक्त पाक में श्रीलंका के और विश्व के बेहद शानदार खिलाडी मौत से लड़ रहे है .आतंकवाद बार बार चीख रहा है अगर पाक में किर्केट हुआ तो हश्र यही होगा .इससे पहले विश्व के कई बड़ी टीम यह बात साबित कर चुकी है पाक में हम नहीं खेलेंगे ,चाहे कुछ भी हो ,जिस पर पाक बोर्ड ने एतराज़ जताया था और कहा था की जब भारत में यह मुमकिन है तो पाक में खेल क्यों नहीं,कई बड़े न्यूज़ चेनलो को सह्यद यह खबर कुछ सुकून दे शायद कुछ को दुःख भी हो ,लेकिन शुक्रवार को टी आर पी भी तो आने वाली है ,पाक में हम आतंक के इतने सारे जख्म बदन पर झेल चुके कि अब जैसे दर्द भी नहीं होता। हमारे सामने लोग लाशों में बदल जाते हैं। राख, धुएं और कालिख के बीच किसी मां की न खत्म होने वाली रुलाई भी हम पर असर नहीं करती,किसी को नहीं पता था की किर्केट का यह सबसे शर्मनाक दिन होगा ,कुछ देर बाद पाक की आलोचना होगी लेकिन सच यही है जो टीम पाक में जाकर किर्केट को जीताने की कोशिश करने गई थी वो अपनी मौत की जंग लड़ रही है ,वही पाक में हालत कोई नए नही होंगे क्योंकि वहा बम धमाको से अब किसी का दिल नही देहलता ,मौत से अब सन्नाटा नही पसरता .क्योंकि वो पाकिस्तान है ,जिन्ना का पाकिस्तान ,जो सिर्फ़ मौत के दस्तूर को अपना अस्तित्व बनाने की कोशिश करता है


आशीष जैन


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