मंगलवार, मई 26

प्यार इश्क और मोहब्बत ...exclusive part2




कहानी का अपना चरित्र होता है ,उसके अपने किरदार होता है ,जिसे में गड रहा हूँ ,मैं कोई ऐसा लेखक नहीं जो कहानी के चरित्रों का निर्माण कर रहा हूँ .मेरे सामने जो कुछ घट रहा है वो आपको बयान कर रहा हूँ .हमारे चेनल के नए मालिक का अभी इंटरव्यू पडा ,तो एक बार फिर कलपना की जिंदगी में उड़ रहा हूँ ,मुझे नहीं मालुम की कहाँनी में आगे क्या होगा.अपनी कहानी को आगेबढाता हूँ ,कहानी में सब चरित्र अब बड़े हो रहे ,स्टार प्लस के किसी शो की तरह कदापि नहीं ,वो मीडिया में सभी नए आये ,उन्हें लगता ही की उनके सामने जो घट रहा है वो हकीकत है ,मैं चाह कर भी उनका साथ नहीं दे पा रहा हूँ ,रोहन अब तेज़ चलने की कोशिश करने लगा है और कोशिश भी क्यों ना करें....जो वादा मैंने किसी से किया है वो भी किसी की आँखों में सपने सज़ा के आया है ....ऑफिस में जब नए आये तो अच्छे दोस्त थे .जहा से सीखा वहाँ बहुत प्यारे दोस्त थे ,लेकिन यहाँ आकर लोग समझोता नहीं करते वो टूटते है किसी अपने पर ......यह तड़पन रोहन के लिए बिलकुल नया नहीं है .हाँ ऑफिस में नए आये तो रोहन की दोस्ती एक लड़की सी हुई ,यह हकीकत है की जल्द ही वो अच्छे दोस्त बन गए ,कोई नहीं जानता था की वो एक दिन बहुत अच्छे दोस्त बन जायेंगे मैं भी नहीं ...मुझे मालुम है की खामोशी भी बोलती है ,पर यह केसी खामोशी है उसकी इस खामोशी में तूफ़ान का अंदेशा तो नहीं था ,खैर प्रीटी {काल्पनिक नाम्} उसके साथ रहने लगी ,बाहार चाय पीने जाते तो वो उसे अपने साथ ले कर जाता, अब कहानी पेचीदा हो रही है ,कहानी का हर चरित्र मासूम बन्नने की कोशिश कर रहा है ,मैं भी ,रोहन भी .कोई लोक को आप सभ जानते ही है ,खैर दोस्ती उन लोगों की थी ऐसा नहीं मेरे साथ थी ,मैंने दोस्ती की मजबूती यहाँ तक देखी की उसने अपनी जिंदगी की उन मरहमों को खोल कर दिखाया जो हालातों ने उस पर कोई उसके परिवार को दिए थे ,,,,,एक लड़की केसे अपने पारिवार के साथ अकेली कड़ी रहती है जब उसके साथ कोई नहीं है ,उसके पापा को गए हुए वक्त बीत चुका है ...मैं भावनाओं का सम्मान करता है यह सहानुभूति नहीं है ,यह दिल से पैदा होता है , माँ की हालत खराब रही वो फिर भी दोड़ती रही ,अस्पातालों में ,राशन की दुकानों में अकेली खड़ी रहीं ,फिर भी नाम आँखों से मुस्कराते रही ,उसे पता ही की उसको दोड़ना भी है ,उसको पता है और मैं तो उसका दोस्त कभी था है नहीं ,फिर भी मैं उसे कभी बोल नहीं पाया ,केसे बोल दूँ की तू रोहन की अच्छी दोस्त है तो मेरी भी बन जा ,उसके दिल में तो यही आता की जबरदस्ती चेप हो रहां है ,बस यही जिंदगी चल रही थी ....हमारी लिस्ट हमारे मेनेजमेंट के द्बारा हमारे काम की तारीफ़ कर रही थी ,हमारे काम की तारीफ़ हुए मैं भी खुश था ,फिर एक दिन ....ऑफिस की केंटिन में अचानक यूँही प्रीटी की क्लास की एक लड़की से दोस्ती हुई .मेरे कोई मन नहीं था अब दौर बदल रहा सोनिया नाम है उसका वक्त के साथ वो अच्छे दोस्त बनी ...केसे बनी मैं नहीं जानता .....बस इतना जानता हूँ की आज वो हमारी दोस्त है मेरे जरिये वो रोहन की दोस्त बनी आज वो मुझसे अच्छे दोस्त है ...रात को बातें करते है ,,सपने देखते है ,कल्पना की जिंदगी में महान होती है ....उसको नहीं मालूम है मीडिया क्या है ......पापा की लाडली है पहली सैलरी मिली है पापा पे घर वालों को कपडे दिलाये है ,पापा के सीने से लिपटना पसंद है ,.उससे नहीं मालुम सपने और वास्तविकता में अंतर होता है उससे नहीं मालूम है जिन्हें वो अपना समझ रही वो किसी पे का कब का ,,,रोहन का प्यार सपने नही देखता है ,रात भर जागता है ,अपनी दोस्तों से उसके बारे में बातें करता है लेकिन उसको नहीं मालुम उसका रोहन अब सोता नहीं वो बातें करता है रात भर ,ऑफिस में वो सपने दिखता है उसके लिए नहीं अब किसी और के लिए ,अब सोनिया मुझे कहती भी है की वो शानदार है उस्ससे बातें करना उसे पसंद है अब वो उसको मिस करती है शायद सोनिया नहीं जानती की उस का अपना रोहन जिससे वो रात भर बातें करती है वो किसी और के लिए यहाँ पर आया है ..........जिन सपनो को वो अपनी मासूम आँखों से देख रही वो टूट जायेंगे यह बात मुझे मालूम है मैं नहीं जानता की इस कहानी का अंत कब होगा ......लेकिन कोई खूब रोयेगा ...क्योंकि दोस्ती यहा कबकी ख़त्म हो चुकी है .....कुछ दिनों पहलों हम बाहर चाय पीने जा रहे थे ....मैं ,लोक और रोहन -सोनिया ,कहानी में शब्दों को देखते रहे अब रोहन और सोनिया के नाम साथ साथ आने लगे है ,रोहन नादान है वो नहीं जानता है की एक दिन आयेगा जब उसके इस झूट का पता चल जाएगा ,मैं नहीं जानता की क्या होगा ,हाँ तो हम चाय पीने जा रहे थे सब सोनियाके साथ ......अचानक मैंने पीछे देखा तो प्रीटी अपनी डेस्क से हमको देख रही थी ,वो सोच रही होगी की कल तक जो मेरे साथ चाय पीने जाता था आज वो मुझे पूछता नहीं >>>>मुझे पहली बार लगा की शायद प्रीटी की जिंदगी उसको छट पटाने पर ,मजबूर कर रही है ,प्रीटी के हालत पर मुझको तरस नहीं आता ...क्योंकि वो इससे कमज़ोर हो रही है ,मैं उसका अच्छा दोस्त नहीं बन सकता हूँ शायद उसके आंसूं मैं नहीं साफ़ कर पाया ,,,लेकिन दुःख है मेरे अपने ने ऐसा किया है ,,,,,,,,,,शायद जिंदगी यहीं है ,,,,,,मैं लेखक हूँ ,इस बात को लेकर मैं संसय भी है ,क्योंकि मैं सिर्फ भावानीय सवेंदना ही व्यक्त कर पाता हूँ ...

.ऐसा नहीं मैं महान हूँ ,मुझे पहला प्यार कॉलेज में हुआ ,बाद में पता चला की जिसें में प्यार करता हूँ वो मुझसे प्यार नहीं करती .........फिर भी हमने सफ़र तय किया ,वो मुझे बहुत प्यार करती है ,जिंदगी में जब मुझे सबसे ज्यादा जरुरत थी मेरे साथ कोई नहीं था वो थी ........बॉय फ्रेंड का सहीं हक़ मैं उससे कभी नहीं बता पाया ,वो बोलती है की टी शर्ट पहनों ....मैं नहीं पहनता ,,,मैं मसाले वाली चीजे बह्युत खाता हूँ वो नहीं खाती ,,,,फिर भी हम साथ है ,या फिर समझोते ज्यादा है ....चार साल से ज्यादा हो गए है ,लड़ाई भी होती है ,मैं रात को उसके साथ ही खाना खाता हूँ अरे भाई वो फोन पर होती है ,,,उसको याद है मैंने परसों क्या खाया था लेकिन मुझे नहीं याद ..ऑफिस में क्या चल रहा है आप उससे पूछ लीजिये ...उसको केसे मालुम है मैंने बताया है रात को ...फोन पर .to be continue

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