
क्यों रो रहे है मीडिया कर्मी -इस चैनल के .......आपसे विनर्म अनुरोध जरुर पढ़े
क्योंकि खामोशी भी बोलती है ...आशीष जैन
यह वाक्या है ..14 जुलाई को फ्रांस में नेशनल डे परेड का जहा रिहर्सल के दौरान फ्रांसीसी सेना के एक जवान ने भारतीय झंडे के एक कोने को अपने बूट के तले दबा रखा है। ,सवाल यह उठता है की एक झंडा एक राष्ट्र के स्वाभिमान का प्रतीक होता है ....और ऐसी सूरत में भारतीय ध्वज को विदेशी धरती पर इस तरीके से अपमान करते हुए भी अगर आपका स्वाभिमान नहीं जागता है ..तो ज़रा सोचिये 

ने अटका कर रखा था ,लोक को लगा कि थोडा वक्त लगेगा और जल्द वो उसके पास दौडती हुए हां जायेगी ,लेकिन यह क्या एक हफ्ते से ज्यादा बीत गया ,वो तो ना दौडी और ना ही उसके पास आई ,लोक हार गया क्योंकि एक रोज़ उसका फोन आया और जवाब मना हो गया ,,,जनाब आज भी फोन पर बातें करतें है,उसी लड़की से ,उनकों लगता है कि वो ऐसा करने से पट जायेगी ,लेकिन ऐसा नहीं होने वाला है ,दरअसल यह एक तीने वाला सवाल है लोक अपनी जिंदगी में सबसे बुरी तरह से हारा है ,वही वो अब नए लोगों पर हाथ आजमा रहा है ,लेकिन मुझे मालुम है कि लोक के लिए उसके घरवालों ने एक लड़की देख ली है ,अरे हां भाई लोक के लिए ,शादी भी होने वाली है जल्द ,आप सब को आना है ,यह जल्द ही आप को वो कहता हुआ दिखेगा ,वही दुसरी तरफ कहानी का लेखक यानी मैं किस मझदार में हूँ मैं नहीं जानता ,मेरी जिंदगी में फिर से कोई शामिल हुआ है ...एक दोस्त की तरह ....पता नहीं जिंदगी में कब शामिल हो गई मैं नहीं जानता ....मैंने अपनी जिंदगी के कई सच मैंने ऊनको बता दिए ,,,,मैंने क्यों बताए मैं नहीं जानता ??लेकिन सच में मैं उनको एक बेहतर दोस्त मानता हूँ या फिर अब मानने लगा हूँ ,यह मेरा आकर्षण तो नहीं ,,,,,बस इसी का एक डर लगातार बना रहता है ,लेकिन कुछ सोच के दिल को दिलासा देता रहता हूँ और फिर शांत हो जाता हूँ ,,आप क्या सोच रहे है कि मैं ऐसा क्या सोचता हूँ ,सुनना चाहेंगे क्या ,,,बस यहीं सोचता हूँ कि मेरी तो गर्ल फ्रेंड है ,,,,मैं नहीं जानता कि यह सब कुछ क्या चल रहा है ,लेकिन मैं कुछ गलत नहीं कर रहा ,आज उससे मिलने जा रहा हूँ ,हम फिर कहीं सपनो को निर्माण करेंगे उनको अपने हाथों से संजो कर घर वापिस रख देंगे ,अगले शनिवार के लिए ....मैं अपनी नई दोस्त के बारे में बात दूँ नाम महक ...{काल्पनिक नाम } हम कब दोस्त बने मैं नहीं जानता .,..बस इतना याद है कि उन्होंने कहा था कि मैं तुम लोगो को गोद ले लूंगी ,और मैंने कहा था कि फायदा किसका होगा और उन्होंने झट से कहा था कि इसमें कोई शक नहीं फायदा तुम्हारा ही होगा और हम एक दम मुस्कराने लगे थे .....उनको नहीं मालुम हम हसें क्यों थे ,बस वही मुलाक़ात और हम सब दोस्त बन गए ,सादगी मुझे हमेशा से बेहतर लगती है ,और वो जो है वो मेरे लिए एक नए दोस्त कि जगह भरता भी है ,सोनिया हमारी दोस्ती में दिलचस्पी दिखाने लगी है उसने मेरे से पूछा भी है कि तू उनके सामने चुप क्यों रहता हूँ ??? दरअसल उसको कोई शक हुआ है जो वो बोल नहीं पा रही.....मैं नहीं बोल पाया ,मैं उसको जवाब भी नहीं दे पाया ,मैं क्यों नहीं दे पाया ,यह सवाल मेरे अन्दर आज भी कौंध रहा है रोहन और सोनिया आज भी दोस्त है ,दोस्ती का एक नया रूप मेरे सामने मौजूद है ,मैं चाहने पर भी उसको यह दिलासा नहीं दे पा रहा की जो मैंने लिखा है की वो सच है ,वो मेरे से बार बार यहीं पूछ रही है की जो मैंने कहा है वो सच है ,मैं उसे दिलासा क्यों दूँ ? आखिर दोस्तों के बीच मेरा इन सवालों का क्या काम है ,रोहन अपने भरोसे में लेने की पूरी कोशिश कर रहा है वो कामयाब भी हो गया है आखिर लडकियां और वो भी माध्यम वर्ग की सोच तो भरोसे में आज सोनिया फिर से है ,मैं अब नहीं चाहता की मैं सोनिया को और समझाऊ ,वही दूसरी तरफ लोक ने एक लड़की पटा ली है ,अरे मन ही मन में एक नई इन्टर्न आई है ,जनाब का दिल फिर से फिसल गया है ,भाई साहाब को शायद नहीं मालुम की मंगल सूत्र के साथ उनका समझौता होने वाला है ,खैर जिस लड़की ने उन्हें मन किया था वो बहुत तेज़ है ,वो उनको अब फोन करती है देर तक बातें भी करती है ,दोस्त क्या होते है वो उस वक्त भूल जाते है ,लेकिन कहानी की टी आर पी तो लोक के कारण ही है ,अरे मैं तो आपको बताना ही भूल गया -कहानी का कौन सा पात्र कहां है ,ऑफिस में उस पर चर्चाये होती है ,लोग अब मुझसे पूछते है की प्लीज़ उनके नाम बता दो ,मैं लेखक हूँ ,मैं शुद्ध कदापि नहीं हूँ ,मेरे अन्दर भी मिलावट होने लगी है ,मैं नहीं जानता यह क्या हो रहा है मुझे ??? मैं तो किसी और के लिए यहाँ आया था ,यह भटकाव केसा ?? हम राजस्थान जा रहे है ,वो बहुत खुश है ,उसके बाबू की यह पहली सैलरी है ,उसकी आँखों में यह ख़ुशी पहली बार देखी है ,मुझे कोई लालच नहीं ,मुझे पैसों से प्यार नहीं है ,मैं आपको ऐसा इसलिए बता रहाहूँ क्योंकि बनियों को नोटों से बहुत प्यार होता है ,राजस्थान में हमारा मंदिर है ,वहीँ हम घूमेंगे ,मैं नहीं जानता की ख़ुशी क्या होती है बस उसके चेहरे पर जब यह चमक देखता हूँ तो लगता काश यह सब कुछ पहले ही होजाता..........महक शानदार व्यवहार की है ,वो दोस्त बहुत बनाती है यह किसी की शक्सियत का बखान कादापी नहीं है यह मैं अपने सामने एक नई कहानी का निर्माण कर रहा हूँ ,अब हम सॉरी .........मैं उनके साथ पसंद करता हूँ ,क्यों ....सच में नहीं जानता ,लेकिन इतना जानता हूँ की कोई तो बात है ...यह बेहतर भविष्य की दोस्ती का संकेत है ,या फिर यह दिलासा है ...जो कई दिनों से मैं अपने आप को दिला रहा हूँ ,आखिर लडकियां और वो भी माध्यम वर्ग की सोच तो भरोसे में आज सोनिया फिर से है ,मैं अब नहीं चाहता की मैं सोनिया को और समझाऊ ,वही दूसरी तरफ लोक ने एक लड़की पटा ली है ,अरे मन ही मन में एक नई इन्टर्न आई है ,जनाब का दिल फिर से फिसल गया है ,भाई साहाब को शायद नहीं मालुम की मंगल सूत्र के साथ उनका समझौता होने वाला है ,खैर जिस लड़की ने उन्हें मन किया था वो बहुत तेज़ है ,वो उनको
अब फोन करती है देर तक बातें भी करती है ,दोस्त क्या होते है वो उस वक्त भूल जाते है ,लेकिन कहानी की टी आर पी तो लोक के कारण ही है ,अरे मैं तो आपको बताना ही भूल गया -कहानी का कौन सा पात्र कहां है ,ऑफिस में उस पर चर्चाये होती है ,लोग अब मुझसे पूछते है की प्लीज़ उनके नाम बता दो ,मैं लेखक हूँ ,मैं शुद्ध कदापि नहीं हूँ ,मेरे अन्दर भी मिलावट होने लगी है ,मैं नहीं जानता यह क्या हो रहा है मुझे ??? मैं तो किसी और के लिए यहाँ आया था ,यह भटकाव केसा ?? हम राजस्थान जा रहे है ,वो बहुत खुश है ,उसके बाबू की यह पहली सैलरी है ,उसकी आँखों में यह ख़ुशी पहली बार देखी है ,मुझे कोई लालच नहीं ,मुझे पैसों से प्यार नहीं है ,मैं आपको ऐसा इसलिए बता रहाहूँ क्योंकि बनियों को नोटों से बहुत प्यार होता है ,राजस्थान में हमारा मंदिर है ,वहीँ हम घूमेंगे ,मैं नहीं जानता की ख़ुशी क्या होती है बस उसके चेहरे पर जब यह चमक देखता हूँ तो लगता काश यह सब कुछ पहले ही होजाता..........महक शानदार व्यवहार की है ,वो दोस्त बहुत बनाती है यह किसी की शक्सियत का बखान कादापी नहीं है यह मैं अपने सामने एक नई कहानी का निर्माण कर रहा हूँ ,अब हम सॉरी .........मैं उनके साथ पसंद करता हूँ ,क्यों ....सच में नहीं जानता ,लेकिन इतना जानता हूँ की कोई तो बात है ...यह बेहतर भविष्य की दोस्ती का संकेत है ,या फिर यह दिलासा है ...जो कई दिनों से मैं अपने आप को दिला रहा हूँ ,उनको अपने भाई से बहुत प्यार है ,कहानी का नया चरित्र वो ही बता पाएंगी ,बस इतना जानता हूँ की उनको कभी प्यार नहीं हुआ .....क्या सोच रहे की मुझे केसे मालुम ..मैंने पूछा......आप अब मेरे चरित्र पर उंगलियाँ उठा सकते है ,मेरी खामोशी आपको कुछ सोचने पर मजबूर कर सकती है ,लेकिन मैं दोस्त बना चाहता हूँ ,बहुत अच्छा ,,,,क्योंकि एक वक्त मैंने अपने दोस्त को खोया है ,जिसके साथ मैं बातें कर सकूँ ,अरे हां उनको भी बहुत जल्दी रोना आता है मेरी तरह ,आज तक मैंने अपने बारे में किसी को पूरा नहीं बताया लेकिन मैं अचानक उनको यह सब कुछ केसे बता दिया ,यह मैं नहीं जानता.... कहानी का लोक यहाँ पर भी आ गया है नए कलेवर के साथ ..भाई साहब के पास sms का जबरदस्त कलेक्शन है ,वो नेट से बैठ कर कॉपी करते है ,लोक अब महक को sms करता है उनको अपने भाई से बहुत प्यार है ,कहानी का नया चरित्र वो ही बता पाएंगी ,बस इतना जानता हूँ की उनको कभी प्यार नहीं हुआ .....क्या सोच रहे की मुझे केसे मालुम ..मैंने पूछा......आप अब मेरे चरित्र पर उंगलियाँ उठा सकते है ,मेरी खामोशी आपको कुछ सोचने पर मजबूर कर सकती है ,लेकिन मैं दोस्त बना चाहता हूँ ,बहुत अच्छा ,,,,क्योंकि एक वक्त मैंने अपने दोस्त को खोया है ,जिसके साथ मैं बातें कर सकूँ ,अरे हां उनको भी बहुत जल्दी रोना आता है मेरी तरह ,आज तक मैंने अपने बारे में किसी को
पूरा नहीं बताया लेकिन मैं अचानक उनको यह सब कुछ केसे बता दिया ,यह मैं नहीं जानता.... कहानी का लोक यहाँ पर भी आ गया है नए कलेवर के साथ ..भाई साहब के पास sms का जबरदस्त कलेक्शन है ,वो नेट से बैठ कर कॉपी करते है ,लोक अब महक को sms करता है उनको अपने भाई से बहुत प्यार है ,कहानी का नया चरित्र वो ही बता पाएंगी ,बस इतना जानता हूँ की उनको कभी प्यार नहीं हुआ .....क्या सोच रहे की मुझे केसे मालुम ..मैंने पूछा......आप अब मेरे चरित्र पर उंगलियाँ उठा सकते है ,मेरी खामोशी आपको कुछ सोचने पर मजबूर कर सकती है ,लेकिन मैं दोस्त बना चाहता हूँ ,बहुत अच्छा मेरे सामने वो शायद वहाँ भी शुरू हो गया है ,उनको वो मेसेज करता है ,वो भी शेंटी सा ,,और एक दिन .............लोक ने उस कहा ,,,मुझे प्यार हो गया है यानी लोक को एक बार फिर हो गया है ................पता है किससे ???? महक से ......सच में """"जिस दिन से चला हूँ, मेरी मंज़िल पे नज़र है, आँखों ने कभी मील का पत्थर नहीं देखा... !!ये फूल मुझे कोई विरासत में नहीं मिले हैं, तुमने मेरा काँटों भरा बिस्तर नहीं देखा... !!..बेवक्त अगर जाऊँगा सब चोंक पड़ेंगे, एक उम्र हुई दिन में कभी घर नहीं देखा... !!..पत्थर कहता है मेरा चाहने वाला, शायद उसने मुझे कभी छूकर नहीं देखा... !!.. TO BE CONITINUE
मीडिया में सभी नए आये ,उन्हें लगता ही की उनके सामने जो घट रहा है वो हकीकत है ,मैं चाह कर भी उनका साथ नहीं दे पा रहा हूँ ,रोहन अब तेज़ चलने की कोशिश करने लगा है और कोशिश भी क्यों ना करें....जो वादा मैंने किसी से किया है वो भी किसी की आँखों में सपने सज़ा के आया है ....ऑफिस में जब नए आये तो अच्छे दोस्त थे .जहा से सीखा वहाँ बहुत प्यारे दोस्त थे ,लेकिन यहाँ आकर लोग समझोता नहीं करते वो टूटते है किसी अपने पर ......यह तड़पन रोहन के लिए बिलकुल नया नहीं है .हाँ ऑफिस में नए आये तो रोहन की दोस्ती एक लड़की सी हुई ,यह हकीकत है की जल्द ही वो अच्छे दोस्त बन गए ,कोई नहीं जानता था की वो एक दिन बहुत अच्छे दोस्त बन जायेंगे मैं भी नहीं ...मुझे मालुम है की खामोशी भी बोलती है ,पर यह केसी खामोशी है उसकी इस खामोशी में तूफ़ान का अंदेशा तो नहीं था ,खैर प्रीटी {काल्पनिक नाम्} उसके साथ रहने लगी ,बाहार चाय पीने जाते तो वो उसे अपने साथ ले कर जाता, अब कहानी पेचीदा हो रही है ,कहानी का हर चरित्र मासूम बन्नने की कोशिश कर रहा है ,मैं भी ,रोहन भी .कोई लोक को आप सभ जानते ही है ,खैर दोस्ती उन लोगों की थी ऐसा नहीं मेरे साथ थी ,मैंने दोस्ती की मजबूती यहाँ तक देखी की उसने अपनी जिंदगी की उन मरहमों को खोल कर दिखाया जो हालातों ने उस पर कोई उसके परिवार को दिए थे ,,,,,एक लड़की केसे अपने पारिवार के साथ अकेली कड़ी रहती है जब उसके साथ कोई नहीं है ,उसके पापा को गए हुए वक्त बीत चुका है ...मैं भावनाओं का सम्मान करता है यह सहानुभूति नहीं है ,यह दिल से पैदा होता है , माँ की हालत खराब रही वो फिर भी दोड़ती रही ,अस्पातालों में ,राशन की दुकानों में अकेली खड़ी रहीं ,फिर भी नाम आँखों से मुस्कराते रही ,उसे पता ही की उसको दोड़ना भी है ,उसको पता है और मैं तो उसका दोस्त कभी था है नहीं ,फिर भी मैं उसे कभी बोल नहीं पाया ,केसे बोल दूँ की तू रोहन की अच्छी दोस्त है तो मेरी भी बन जा ,उसके दिल में तो यही आता की जबरदस्ती चेप हो रहां है ,बस यही जिंदगी चल रही थी ....हमारी लिस्ट हमारे मेनेजमेंट के द्बारा हमारे काम की तारीफ़ कर रही थी ,हमारे काम की तारीफ़ हुए मैं भी खुश था ,फिर एक दिन ....ऑफिस की केंटिन में अचानक यूँही प्रीटी की क्लास की एक लड़की से दोस्ती हुई .मेरे कोई मन नहीं था अब दौर बदल रहा सोनिया नाम है उसका वक्त के साथ वो अच्छे दोस्त बनी ...केसे बनी मैं नहीं जानता .....बस इतना जानता हूँ की आज वो हमारी दोस्त है मेरे जरिये वो रोहन की दोस्त बनी आज वो मुझसे अच्छे दोस्त है ...रात को बातें करते है ,,सपने देखते है ,कल्पना की जिंदगी में महान होती है ....उसको नहीं मालूम है मीडिया क्या है ......पापा की लाडली है पहली सैलरी मिली है पापा पे घर वालों को कपडे दिलाये है ,पापा के सीने से लिपटना पसंद है ,.उससे नहीं मालुम सपने और वास्तविकता में अंतर होता है उससे नहीं मालूम है जिन्हें वो अपना समझ रही वो किसी पे का कब का ,,,रोहन का प्यार सपने नही देखता है ,रात भर जागता है ,अपनी दोस्तों से उसके बारे में बातें करता है लेकिन उसको नहीं मालुम उसका रोहन अब सोता नहीं वो बातें करता है रात भर ,ऑफिस में वो सपने दिखता है उसके लिए नहीं अब किसी और के लिए ,अब सोनिया मुझे कहती भी है की वो शानदार है उस्ससे बातें करना उसे पसंद है अब वो उसको मिस करती है शायद सोनिया नहीं जानती की उस का अपना रोहन जिससे वो रात भर बातें करती है वो किसी और के लिए यहाँ पर आया है ..........जिन सपनो को वो अपनी मासूम आँखों से देख रही वो टूट जायेंगे यह बात मुझे मालूम है मैं नहीं जानता की इस कहानी का अंत कब होगा ......लेकिन कोई खूब रोयेगा ...क्योंकि दोस्ती यहा कबकी ख़त्म हो चुकी है .....कुछ दिनों पहलों हम बाहर चाय पीने जा रहे थे ....मैं ,लोक और रोहन -सोनिया ,कहानी में शब्दों को देखते रहे अब रोहन और सोनिया के नाम साथ साथ आने लगे है ,रोहन नादान है वो नहीं जानता है की एक दिन आयेगा जब उसके इस झूट का पता चल जाएगा ,मैं नहीं जानता की क्या होगा ,हाँ तो हम चाय पीने जा रहे थे सब सोनियाके साथ ......अचानक मैंने पीछे देखा तो प्रीटी अपनी डेस्क से हमको देख रही थी ,वो सोच रही होगी की कल तक जो मेरे साथ चाय पीने जाता था आज वो मुझे पूछता नहीं >>>>मुझे पहली बार लगा की शायद प्रीटी की जिंदगी उसको छट पटाने पर ,मजबूर कर रही है ,प्रीटी के हालत पर मुझको तरस नहीं आता ...क्योंकि वो इससे कमज़ोर हो रही है ,मैं उसका अच्छा दोस्त नहीं बन सकता हूँ शायद उसके आंसूं मैं नहीं साफ़ कर पाया ,,,लेकिन दुःख है मेरे अपने ने ऐसा किया है ,,,,,,,,,,शायद जिंदगी यहीं है ,,,,,,मैं लेखक हूँ ,इस बात को लेकर मैं संसय भी है ,क्योंकि मैं सिर्फ भावानीय सवेंदना ही व्यक्त कर पाता हूँ ...






पर पाक बोर्ड ने एतराज़ जताया था और कहा था की जब भारत में यह मुमकिन है तो पाक में खेल क्यों नहीं,कई बड़े न्यूज़ चेनलो को सह्यद यह खबर कुछ सुकून दे शायद कुछ को दुःख भी हो ,लेकिन शुक्रवार को टी आर पी भी तो आने वाली है ,पाक में हम आतंक के इतने सारे जख्म बदन पर झेल चुके कि अब जैसे दर्द भी नहीं होता। हमारे सामने लोग लाशों में बदल जाते हैं। राख, धुएं और कालिख के बीच किसी मां की न खत्म होने वाली रुलाई भी हम पर असर नहीं करती,किसी को नहीं पता था की किर्केट का यह सबसे शर्मनाक दिन होगा ,कुछ देर बाद पाक की आलोचना होगी लेकिन सच यही है जो टीम पाक में जाकर किर्केट को जीताने की कोशिश करने गई थी वो अपनी मौत की जंग लड़ रही है ,वही पाक में हालत कोई नए नही होंगे क्योंकि वहा बम धमाको से अब किसी का दिल नही देहलता ,मौत से अब सन्नाटा नही पसरता .क्योंकि वो पाकिस्तान है ,जिन्ना का पाकिस्तान ,जो सिर्फ़ मौत के दस्तूर को अपना अस्तित्व बनाने की कोशिश करता है
हो गया उन्हें भी शायद खुद पता नहीं.लेकिन कई सालो बाद वो नेता दिखा जो वक्त की करवटों से डरता नहीं बल्कि आगे बढता है वो बताता है की इंसान होना बड़ी बात बल्कि उसका सम्मान करना बड़ी बात है पांच साल सरकार चला देने भर के लिए सिद्धांतहीन राजनीति की आड़ ने पूरे देश को गन्दा कर दिया है ये एक टीसने वाला सवाल है कि इन हालात के लिए कौन जिम्मेदार है?जिन लोगों पर ये जिम्मेदारी थी कि पर देश में गिरने वाला खून वो अपनी अंजूरी में रोक लें, उन्होंने नफरत के तालाब बनाए, खून की नदियां बहाईं और उनमें अपनी सियासत की नावें दौड़ाईं। आज वक्त बदल रह है ,देश बदल रहा है